परिचय :
अल्ट्रासोनोग्राफी (ultrasonography) का आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में एहम भूमिका निभाता हे । ये एक ऐसी प्रबिधि हे जिस से हम बिना ऑपरेशन और side effect के ध्वनि की तरंग (soundwave) द्वारा अपनी शरीर के अंदर झॉक सकते हे इसीलिए आजके दिनो ultrasonography डाक्टरो के लिए शरीर के अन्दारी भाग को अध्यन कर्ने का एक आधारभूत जर्या बन चुका हे और डॉक्टरों द्वारा ऐ जाँच अकसर करवाने का सल्लाह दिया जाता हे ।
USG machine कैसे काम करता हे :
ultrasound machine द्वारा एक बिसेस किसिम के ध्वनि तरंग (soundwave) जिसको हम ultrasound wave कहते हे उसको लक्षित (target) सतह पर पठाया जाता हे ; और जैसे की हम सभी को पता ही हे ध्वनि (soundwave) जब किसी सतह से टकराता हे तो सतह के गुन अनुरूप ओ reflect या absorbed होता हे । जब USG machine द्वारा पठाया गया ध्वनि तरंग (soundwave) हमारे भित्रि अंगो से टकराता हे तभी अंगो के आकर और घनत्व के बमोजिम ध्वनि तरंग (soundwave) reflect होकर फिर से USG machine की तरफ वापसी होती हे और उसके बाद USG machine द्वारा एक बिशेष प्रोगरामिंग कर के कंप्यूटर के स्क्रीन पर एक छवि का निर्माण किया जाता हे जिस की मदत से हमें अपनी अंगो के बारेमा उसका आकार , ठोसपन की जानकारी प्राप्त होता हे ।
ultrasonography जिसको अक्सर लोग ” भिडियो एक्स रे ” के नाम से जानते हे, जब कि ultrasonography को इस नाम से बुलाना गलत होगा क्यु कि ultrasonography मे हम किसी भी तरिके कि X-ray का इस्तामाल नही करते। ultrasonography एक non -ionizing radiation ओर X-ray एक ionizing radiation दोनो उतने हि अलग हे जित्ने राम ओर रावण। ultrasonography मे मुख्यतया २.५ mhz से लेकर १५ mhz तक का frequencies का sound wave इस्तामाल किया जाताहे जेसे कि गर्भवती के जांच मे २.५ mhz से ३.५ mhz , जो कि एक साधारण मोबाइल से निकल्लने वाली frequency से लगभग 3000 गुना कम हे।
अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) से जुड़े अफवाहे :
इसको लेकर नाजाने कितने भ्रम हमारे कानो मे सुन्ने मे आते रेहते हे तो चल्ये ये भ्रम दुर करे।जन समाज मे ultrasonography से क्यान्सर होता हे , गर्भ मे पल रहे बच्चेमे बुरी असर पर्ता हे इत्यादी येसे कै अफ्वाहे डेरा डाल के खडे हे , ओर इन्ही अफ्वाहे कि वाजः से नाजाने कितने मरिज , गर्भवती ultrasonography कराने से डरते हे जिनका नकारात्मक प्रभाव उन्ही को झेलना परता हे। ultrasonography एक बोहोत हि सुरक्षित जांच हे इससे अभि तक क्यान्सर होता हे कह कर पुष्टी नही हुवा हे ।
गर्भ मे पलरहे बच्चे पहले ३ महिने तक बहुत हि नाजुक होते हे इसी लिए पहले ३ महिने के गर्भ मे ultrasonography बोहोत हि कम बार ओर कम frequency का sound wave का इस्तामल किया जाता हे। इसके अलावा ओर किसी रोग के हेतु किया गया ultrasonography मे येसा दुबिधा नही होती । तो अग्ली बार कभी भी आपको डाक्टर ultrasonography कराने को बोले तो बेहिचक बिना डरके करवाईगा।
अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) के नकारात्मक असर :
अल्ट्रासोनोग्राफी के वाजः से १ डिग्री सेल्सियस तक तापक्रम कि बढोती हो सक्ति हे जिसकी वाजः से नाजुक कोषिका को कुछ हद तक असर पर सकता हे पर ओ तो रोज मर्रामे इस्तामाल होने वाली प्रदुषण , खाधान्नमे मे मिलाने जाने वाली रसायन से भी हो सक्ता हे।
सोनोलॉजिस्ट (sonologist) और रेडियोलाजिस्ट (radiologist) में क्या अंतर हे ?
रेडियोलाजिस्ट (radiologist) एक चिकित्सको का एक बिशेसज्ञ उपाधि हे जो MBBS के बाद रेडियोलोजी (radiology) बिषय में कम से कम 3 बर्ष का postgraduate कोर्स किया जाता हे। आकड़े देखा जाए तो रेडियोलाजिस्ट (radiologist) बनने का सौभाग्य केवल उन्ही चन्द MBBS डॉक्टरों को मिलता हे जो प्रवेश परीक्षा ( PG EXAM ) में सब से ज्यादा अब्बल नंबर लाते हे । रेडियोलाजिस्ट (radiologist) के पास अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) के साथ साथ X-ray, CT-scan, MRI लगायत radiology and diagnostic imaging का सम्पूर्ण ज्ञान होता हे ।
दूसरी तरफ सोनोलॉजिस्ट (sonologist) ओ हरेक MBBS डाक्टर बन सकता हे जिसने अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) का औसत 6 महीने का कोर्स किया हो । सोनोलॉजिस्ट (sonologist) को केवल अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) का ज्ञान होता हे ओ भी रेडियोलाजिस्ट (radiologist) के तुलना में बोहोत ही कम।
अल्ट्रासोनोग्राफी (अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) ) से जुड़े कुछ सवाल (FAQs)
1.क्या अल्ट्रासोनोग्राफी से कैंसर होता हे ?
उतर : जी नहीं ।
2.क्या अल्ट्रासोनोग्राफी से गर्भ में पल रहे बच्चे को खतरा होता हे ?
उतर : पहले 3 महीने में भ्रूण (fetus) बोहोत कोमल होते हे जिसके दौरान कुछ हद तक ना के बराबर तापमान बढ़ सकता हे पर ओ भी ज्यादा frequency का soundwave के प्रयोग से , पर चिंता मत कीजिए डॉक्टरों को इसका ज्ञान होता हे और डाक्टरों पहले 3 महीना के भ्रूण में अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) करते वक्त इसको ध्यान में जरूर रखते हे ।
3.अल्ट्रासोनोग्राफी किस से करवाना चाहिए ?
उतर : कभी भी पहले प्राथमिकता रेडियोलाजिस्ट (radiologist) को ही दे ; अगर रेडियोलाजिस्ट (radiologist) ना हो तो आप सोनोलॉजिस्ट (sonologist) से भी करवा सकते हे ।
4.अल्ट्रासोनोग्राफी और ईकोकार्डीग्राफी (echocardiography) में क्या अंतर हे ?
उतर : ईकोकार्डीग्राफी (echocardiography) एक अल्ट्रासोनोग्राफी (Ultrasonography) का ही रूप हे जिसमे हम दिल (heart) की जांच करते हे ।
5.क्या अल्ट्रासोनोग्राफी से पेट में पल रहे बच्चे का लिंग पता चल सकता हे ?
उतर : ये गैर क़ानूनी हे ।
6.क्यों अल्ट्रासोनोग्राफी करने से पहले पिसाब लगना अनिवार्य होता हे ?
उतर : हम सभी को पता हे ध्वनि (sound) को एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए कोई माध्यम की जरुरत होती हे और जब हमको पिसाब लगती हे तभी हमारी मूत्र थैली (urinary bladder) पिसाब यानेकी तरल से भर जाता हे जो USG machine द्वारा भेजा गया ध्वनि (sound) के लिए एक अच्छे माध्यम (medium) का काम करता हे और स्क्रीन पे साफ़ छवि (image) बनता हे ।
6.अल्ट्रासोनोग्राफी सरीर के किन किन हिस्सो में करवा सकते हे ?
उतर : सरीर के कोई भी हिस्से में , यहाँ तक की सैल्यक्रिया (surgery) के वक्त पेट की अंदर भी ।
निस्कर्स : ultrasonography से शरीर मे क्यान्सर या कोइ भी गम्भीर बिमारी या असर नही होता हे।
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