क्या होता हे heat stroke ( लु लगना ) जानिए हिन्दि मे।
बढ़ती आवादी और शहरीकरण (urbanization) के कारण हमें लाभ के साथ-साथ बहुत सारे नुकसान भी हो रहे हैं, और उनमें से एक है असंतुलित मौसम। जी हाँ, आज हम बात करने जा रहे हैं बढ़ती धूप और उससे आने वाली स्वास्थ्य से जुड़े कुछ गंभीर समस्याओं के बारे में।
धूप से जुड़ी समस्याओं (Heat-related Illnesses) के अंतर्गत, ६ बीमारियों को रखा गया है:
- Heat stroke (लू लगना)
- Heat exhaustion (तापिश दम)
- Heat syncope (तापिश बेहोशी)
- Heat cramp (तापिश एठन)
- Heat rash (तापिश चकत्ते)
- Rhabdomyolysis (रेबडोमायोलाइसिस)
इन बीमारियों के बारे में जानने से पहले हमें एक बात समझनी होगी कि हमारे शरीरका तापमान (core body temperature) ३७ डिग्री सेल्सियस पर कैसे बरकरार रहता है। हम इंसानों के शरीर भगवान ने इस तरीके से बनाया है कि हम खुद से ही अपनी शरीर के तापमान को कम या ज्यादा कर सकते हैं, जिसे thermoregulation (थर्मोरेगुलेशन) कहा जाता है। अगर हम शरीर के तापमान को ३७ डिग्री सेल्सियस पर बरकरार रखने में असमर्थ रहें, तो हमारा शरीर अच्छे से काम नहीं कर पाएगा और हमें बहुत सारी लक्षणों से गुजरना पड़ सकता है, जिनका जीकर हम थोड़ी देर में करेंगे। अगर किसी वजह से जैसे कि ज्यादा व्यायाम ( exercise करने से, ज्यादा धूप के कारण या फिर थायरॉइड बढ़ने से हमारे शरीर का तापमान बढ़ता है, तब हमारी शरीर मुख्य तौर पर चार तरीकों से अपनी गर्मी को बाहर निकालती है:
१) पसिने द्वारा ( evaporation )
२) सिधा स्पर्श किया गया सतह पे गर्मि प्रबाह कर्के ( conduction )
३) हावा के प्रबाह द्वारा ( convection )
४) विकिरण प्रसारण द्वारा ( Radiation )
पर इनमें से evaporation (पसीना) द्वारा शरीर के तापमान कम होने वाली प्रक्रिया को जानना जरूरी है। जब शरीर का core body temperature बढ़ता है, तो हमारे दिमाग (हाइपोथालमस) को पता चलता है और वह शरीर के त्वचामें मौजूद रक्त नालियों को चौड़ा करने के लिए आदेश देता है, ताकि खून का प्रवाह त्वचा के सतह पर ज्यादा से ज्यादा बने, और यही वजह है कि जब हम धूप में ज्यादा समय रहते हैं, तब हमारी त्वचा लाल हो जाती है। खून का प्रवाह त्वचा में ज्यादा होने से हमारी पसीने वाली ग्रंथियां सोडियम और क्लोराइड की मदद से खून से नमी (पानी) को अपनी ओर खींचकर एक पसीने का रूप देती हैं और उन्हें त्वचा के सतह पर ले आती हैं, यही वजह है कि पसीने का स्वाद नमकीन होता है। एक बार पसीना त्वचा के सतह पर आने पर evaporate और convection द्वारा एक ठंडगी का एहसास कराता है और इसी के कारण हमारी शरीर का core body temperature संतुलित रहता है।
पर अधिक समय तक धूप में रहें या फिर व्यायाम करें तो एक निश्चित समय के बाद हमारा शरीर थक जाएगा और तापमान को संतुलित नहीं कर पाएगा, और हम धूप से जुड़ी समस्याओं से ग्रसित हो सकते हैं। तो अब चलिए उपर उल्लिखित बीमारियों के बारे में विस्तृत चर्चा करते हैं।
Heat Stroke (लू लगना):
भारत, नेपाल, गल्फ आदि कई देशों में गर्मी के समय हमें अक्सर समाचार में ये सुनने को मिलता है कि कई लोग Heat Stroke (लू लगना) के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गए। Heat Stroke (लू लगना) ताप से होने वाली बीमारियों में सबसे खतरनाक बीमारी है, जिसको समय पर प्राथमिक उपचार (first aid ) न मिलने पर कुछ ही समय में मृत्यु हो सकती है। यह अवस्था तब आती है जब हमारे शरीर में तापमान संतुलन करने वाली प्रणाली (thermoregulation failure) थक कर पूरी तरह से असफल हो जाती है।
Heat Stroke के 3 प्रमुख लक्षण होते हैं:
- त्वचा में पसीना न होना
- त्वचा को छूने पर सूखा और अत्यधिक तापमान का अनुभव होना (40 डिग्री सेल्सियस से अधिक)
- इंसान बेहोश या फिर अचेत होना
याद रखें अगर आपको कभी भी ये तीन लक्षणवाली अवस्था का सामना करना पड़े तो आपको समझ लेना चाहिए कि यह अवस्था Heat Stroke (लू लगना) की हो सकती है। अब चलिए हम ऐसी अवस्था में क्या कर सकते हैं, ये जानते हैं।
Heat stroke से ग्रसित इन्सनो को दि जाने वालि first aid :
- ऐसी अवस्था में सबसे पहले हमें Heat Stroke (लू लगना) से प्रभावित व्यक्ति को ठंडी जगह पर थोड़ा पैर उठाकर लेटाना है, ताकि दिमाग में खून का प्रवाह बना रहे।
- Heat stroke के मरिज के शरीर से जितने मोटे कपड़े हैं, उन्हें उतार दें और एम्बुलेंस को सूचित करें।
- Heat stroke के मरिज को ठंडे पानी को उसके पूरे शरीर में शिर से लेकर पैर तक लगातार डालें (जितना ठंडा पानी हो, उतना अच्छा), हो सके तो ठंडे पानी के अन्दर में बैठा दें। अगर ज्यादा पानी नहीं हो, तो कपड़े को गीला करके या फिर बर्फ को शिर पर, गरदन पर, कंधे में, जानघों के बीच में डालें। याद रखें, हम सीधे स्पर्श किए गए सतह पर गर्मी का प्रवाह करके (कंडक्शनिंग) शरीर का तापमान घटा रहें हैं।
- अगर Heat stroke के मरिज मरीज पूर्णतः होसो हवासमे हो, तो उन्हें ठंडे पानी में ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) घोलकर पिलाएं।इस से जुडे ओर जानकारी के लिए
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